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अद्भुत प्रयत्न
॥ श्रीसिद्धाचलमण्डन-श्रीऋषभदेवस्वामिने नमः॥ ॥ श्रीशंखेश्वर-पार्श्वनाथाय नमः॥ श्रीमहावीरस्वामिने नमः॥
॥ श्रीगौतमस्वामिने नमः॥
|| किञ्चिद् वक्तव्यम् ।
जैनशासन में हमारे पूर्वाचार्यों ने बहुत बड़ा साहित्य सर्जन विभिन्न क्षेत्रों में किया है। हमारे पूर्व महर्षियों ने स्वाध्याय का, श्रुतज्ञान की उपासना का जो महान् कार्य किया है उसकी कल्पना करने में भी हम असमर्थ हैं, जब इसका पता चलता है तो हम नममस्तक हो जाते हैं।
खरतरगच्छ में छोटे-बड़े विद्वानों ने जो साहित्य सर्जन किया है उसकी सूचना देने वाला खरतरगच्छ साहित्य कोश डॉ० विनयसागरजी ने अति-अति परिश्रम से तैयार करके हमारे समक्ष उपस्थित किया है, इसके लिये उनको हमारा हजार-हजार धन्यवाद है। ऐसे साहित्य कोश करने का साहस और प्रयत्न यह बड़ी आश्चर्यकारक बात है। इस कोश के आधार से, हमारे पूर्व महर्षियों द्वारा निर्माण किये गए साहित्य के अप्रकाशित ग्रंथों को हम प्रकाशित करें और उसका अध्ययन करें तथा हम स्व-पर कल्याण करें, यही मंगल कामना। पुन: इस कोश के कर्ता का हार्दिक अभिनन्दन।
माघ शुक्ल नवमी, विक्रम सं. २०६२ | पूज्यपादाचार्यदेव श्री विजयसिद्धिसूरीश्वर-पट्टालङ्कारदिनाङ्क ६-२-२००६, सोमवार, | पूज्यपादाचार्य-विजयमेघसूरीश्वर शिष्यनंदिगाम (जिला-वलसाड) पूज्यपादगुरुदेव-मुनिराज श्रीभुवनविजयान्तेवासीगुजरात
मुनि जम्बूविजय
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