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प्रश्नोत्तर शैली की इन पुस्तकों की उपयोगिता, निर्विवाद है । शिक्षण शिविरों में ये पुस्तकें पाठ्य पुस्तकों का काम देती हैं जिनसे अध्यापक और अध्येता दोनों ही सीमित समय में बहुत लाभान्वित होते हैं। मैं आदरणीय पण्डितजी को इन उपयोगी प्रकाशनों के लिए हार्दिक साधुवाद देता हूँ ।
पण्डित पन्नालालजी साहित्याचार्य जैन जगत् के विश्रुत विद्वान् हैं। श्रुतसेवा में ही उनका जीवन समर्पित है। गत पाँच-छह दशकों से जैन बा एवं के अध्ययन-अध्यापन अनुवाद और लेखन में संलग्न हैं। उनकी अनेकानेक अनूदित और मौलिक कृतियों से प्रत्येक स्वाध्यायी सुपरिचित है। ज्ञानवृद्ध और वयोवृद्ध व्रती पण्डितजी आज भी अपने आपको अनवरत् अध्ययनअध्यापन और लेखन कार्य में व्यस्त रखते हैं। जरा सा भी समय व्यर्थ नहीं जाने देते । सम्माननीय पण्डितजी के प्रति अपने श्रद्धाभाव प्रकट करता हुआ मैं उनके स्वस्थ नीरोग दीर्घ जीवन की कामना करता हूँ ।
पूज्य आर्यिका १०५ श्री विशुद्धमती माताजी और पं० जवाहरलालजी सिद्धान्तशास्त्री, भीण्डर ने पण्डितजी के लिखे प्रश्नोत्तरों का सूक्ष्म दृष्टि से अवलोकन किया है और विषय को स्पष्ट करने के लिये इन्हें अपेक्षित जानकारी से समृद्ध किया है। पूज्य आर्यिका प्रशान्तमर्ती माताजी ने गम्भीरतापूर्वक पूरी प्रेसकापी