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मशब्दार्थे
विषये
अभिग्रहार्थकल्पत्रे नट्रंति कटु सा चंदणवाला रोइउमारभीअ] हाथ में आया वजरत्न नष्ट हो गया
मटमाणस्य.. यह सोच चन्दनबाला रुदन करने लगी-उसके नेत्रों से आंसू बहने लगे [तए णं
भगवतभगवं तेरसमं वयं पडिपुण्णं विण्णाय पडिणियहिय चंदणबालाए हत्थाओ बाफिय
लोक वित मासे पत्ते पडिग्गहिय तओं निवत्तीअ] उस समय भगवान् तेरहवां बोल पूर्ण हुआ
कोदिकम् जानकर लौटकर चन्दनबाला के हाथ से उडद के वाकले पात्र में ग्रहण करके वहां से पीछे लोट गये।
तेणं काले णं तेणं समएणं तस्स णं धणावहसेटिस्स गिहंसि देवेहिं पंचदि- Utill ral व्वाइं पगडीकयाइं] उस काल और उस समय उस धनावह सेठ के घर में देवों ने
पांच दिव्य प्रकट किये [तं जहा-१-वसुहारावुढा २ दसद्धवण्णे कुसुमे णिवाइए ३ चेलु क्खेवेकए ४ आहयाओ दुदुहिओ ५ अंतरा वि य णं अगासंसि अहोदाणं अहोदाणं ति lil घुटे य] वह इस प्रकार-१-स्वर्ण की वर्षा हुई २ पांच रंग के फूलों की वर्षा हुई ॥३५१॥