Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 886
________________ कल्पमत्रे सशन्दाथै ॥८७०॥ अरिष्टनेमि प्रभोः |चरित्रम् सुक्क छट्टिए दिक्खिओ जाओ, पढम भिक्खादायारो नाम वरदत्तो, भिक्खाए खीरं लढे, छउमत्थावत्थाकालो चउवन्नं दिवसा, वेतसरुक्ख नाम चेइयरुक्रवतले आसिण किण्हा अमावसा दिणे केवलणाणं, आसाढसुक्क अटुमी दिणे निव्वाणं, दसधणूप्पमाणं देहमाणं, सामवण्णो, संखलक्खणो, णायग गणहरोवरदत्त नामा, अग्गणी साहुणी जक्खणी, पव्वज्जाकालो सत्तसयावरिसा, गणहराणं संखा अट्ठारस साहुसंखा अट्ठारससहस्सा, साहुणी संखा चत्तालीससहस्सा, सावगाणं संखा एगलक्ख एगूणसत्तरिसहस्सा, सावियाणं संखा तिण्णिलक्ख छत्तीससहस्सा, साहुकेवलीणं संखा पंचसयोत्तर एगसहस्सा, साहुणी केवलिणं संखा तिण्णिसहस्सा, ओहिणाणीणं संखा पंचसयोत्तर एगसहस्सा, मणपज्जवनाणीणं संखा एगसहस्सा, चउद्दसपुव्वीणं संखा चत्तारिसया, वेउव्वियलद्धिधराणं संखा पंच ८७०॥

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