Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 894
________________ कल्पसूत्रे सशब्दार्थ ||८७८॥ महावीर प्रभोः चरित्रम् बायालीसं वरिसं, गणहराणं संखा एक्कारस, साहुणं संखा चउद्दससहस्सा, साहुणीणं संखा छत्तीससहस्सा, सावगाणं संखा एगूणसद्विसहस्सोत्तरं एगलक्खा, सावियाणं संखा तिष्णिलक्खा, साह केवली संखा सत्तसया, साहणी केवली चत्तारि सयोत्तर एगसहस्सा, ओहिणाणीणं संखा, तिण्णि सयोत्तर एगसहरसा, मणपज्जवनाणीणं संखा, पंचसया, चउद्दसपुवीणं संखा तिण्णिसया वेउव्वियलद्धिधराणं संखा सत्तसया, वाईणं संखा चत्तारिसया, सासणकालो एकवीस सहस्सवरिसो, दो पट्टा मोक्खं गया, सासणदेवो मत्तंगो, सासणदेवी सिद्धा॥ २४-श्री महावीर स्वामी चरित्रभावार्थ-श्रीमहावीर प्रभु का देवलोक से च्यवन १० दशवें देवलोक की स्थिति २० वीस SSCRED ॥८७८||

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