Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 899
________________ गणधराणां नामानि कल्पसूत्रे मेयज्जेय पभासे, गणहरा हुंति वीरस्स । निव्वुइ पहुसासणयं, जयइ सया सव्व सशब्दार्थे ॥८८३॥ भाव देसणयं ॥ कुसमयमयनासणयं, जिणंदवर, वीरसासणयं ॥२४॥ भावार्थः-अब अन्तिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के इग्यारे गणधर हुवे उनके नाम १ इन्द्रभूति, २ अग्निभूति, ३ वायुभृति, ४ विगतभूति, ५ सौधर्मस्वामी, ६ मंडितपुत्र, ७ ८ अकम्पित मौर्यपुत्र, ९ अचलभ्रात १० मेतार्य और ११ प्रभास इनका विशेष स्वरूप यन्त्र में देखो इन इग्यारे ही गणधरों में पहिले और पाचवें तो महावीर स्वामी मोक्ष * गये बाद और नवगणधर महावीर स्वामी के सन्मुख राजगृही नगरी में एक महीने की संलेहना कर मोक्ष पधारे है पूर्वोक्त ग्यारों ही गणघर सदैव मोक्ष पंथ के साधक, तथा शिक्षक जो सर्वदा सर्वभाव के दर्शक उपदेशक कुशास्त्र की दुर्मति का नाशक, कुत्सित शास्त्रके मद के गालने वाले, जिनेश्वर के संघ में प्रधान मुखी २ जिन शासन के नायक सदैव जयवंत होवो ॥ २४ ॥.. ॥८८३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912