Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 897
________________ कल्पसूत्रे सशब्दार्थे 11८८१॥ कमल की शैय्या पर शयन करने के दोहद से तथा पद्म कमल समान शरीर की शोभा महावीर देखकर पद्मप्रभु नाम दिया ७ माता के कर के स्पर्श से राजा की पांसुलियां सीधी हो । प्रभोः चरित्रम् गई इसलिए सुपार्श्वनाथ नाम दिया ८ चन्द्रमा पीने के दोहदसे तथा चंद्र समान शरीर की प्रभा देख चन्द्रप्रभ नाम दिया, ९ माता की सुबुद्धि होने से सुविधीनाथ और पुष्प समान दांत देख पुष्पदंत नाम दिया (नववे तीर्थंकर के दो नाम है) १० माता के हाथ के स्पर्श से राजा का दाह ज्वर का रोग जाने से शीतलनाथ नाम दिया। ११ बहुत लोगों का श्रेय करने से तथा देवाधिष्ठित शैय्या पर शयन करने से श्रेयांसनाथ नाम दिया. १२ वासु इन्द्र ने वसु-द्रव्य की वृष्टि की जिससे वासुपूज्य नाम दिया १३ गर्भ में आने से माता का शरीर निर्मल रोग रहित होने से विमलनाथ नाम दिया। १४ अनन्त माता का स्वप्न देखने से अनन्त नाथ नाम दिया। १५ माता पिता की धर्म पर द्रढ प्रीति देख धर्मनाथ नाम दिया १६ देश में मारी का रोग का उपद्रव दूर ॥८८१॥

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