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कल्पसूत्रे
पद्मप्रभु तीर्थकर चरित्रम्
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दीक्षा ग्रहण कर ली। दीक्षा ग्रहण के बाद उत्कृष्ट तप संयम की आराधना करते हुए सशब्दार्थे । उसने 'तीर्थङ्कर' नाम कर्म का उपार्जन किया । अन्तिम समय में संलेखना पूर्वक देह 11८०३॥
का त्याग कर वह सर्वोच्च ग्रैवेयक में महान ऋद्धि सम्पन्नदेव वना । बहां से च्यवकर प्रैवेयक देवलोक की स्थिति ३१ एकत्तीस सागरोपम जन्मनगरी कौशाम्बी, पिता का नाम श्रीधर राजा, माता का नाम सुषमा, आयुष्य ३० तीसलाख पूर्व, गर्भ कल्याणक माघ कृष्ण छ?, जन्म कल्याणक कार्तिक कृष्ण १२ द्वादशी, कुंवरपद साढे सातलाख पूर्व, राज्य गादी समय २१॥ साढे एकीसलाख पूर्व, शिबिका वैजयन्त, दीक्षा कल्याणक कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी, एकहजार के साथ, पहली गोचरी देनेवाला का नाम सोमदेव पहली गोचरी में क्या मिला खीर, छद्मस्थावस्था का काल छ महीना, चैत्यवृक्ष का नाम छत्राभ, केवली कल्याणक चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, निर्वाण कल्याणक मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी, देहप्रमाण २५० धनुष, वर्ण लाल, लक्षण पद्मकमल, नायक गणधर सुव्रतजी,
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।।८०३॥