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कल्पसूत्रे. सशब्दार्थे ॥ ८२१॥
वहां से च्यवकर १० दसवें देवलोक, देवलोक की स्थिति २० बीस सागरोपम, जन्म नगरी भद्दीलपुर, पिता का नाम दृढरथ, माता का नाम नंदा, आयुष्य १ एकलाख पूर्व, गर्भ कल्याण वैशाख कृष्ण षष्ठी' जन्म कल्याणक माघ कृष्ण द्वादशी, कुंवरपद पचीस हजार पूर्व, राज्यगादी समय ५० हजार पूर्व, शिबिका चन्द्रप्रभा, दीक्षा कल्याणक माघ कृष्ण द्वादशी, एकहजार के साथ, पहली गोचरी दाता का नाम पूनर्वसु पहली गोचरी में क्या मिला खीर, छद्मस्थावस्था का तीन मास, चैत्य वृक्ष पिलंगु वृक्ष, केवल कल्याणक पौष कृष्ण १४ चतुर्दशी, निर्वाण कल्याणक वैशाख कृष्ण द्वितीया, प्रमाण ९० धनुष, वर्ण कंचन, लक्षण श्रीवत्स, नायक गणधर आनन्द, अग्रणी साध्वीसुलसा, प्रव्रज्या समय २५ हजार वर्ष, गणधर संख्या ८१, साधु संख्या १ लाख, साध्वी • संख्या १ एक लाख छ हजार, श्रावक संख्या दो लाख ८९ नवासी हजार, श्राविका संख्या ४ लाख ५८ हजार, साधु केवली सात हजार, साध्वी केवली १४ हजार, अव
शीतलनाथ प्रभोः चरित्रम्
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