Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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कल्पसूत्रे शब्दार्थे
॥८४८ ॥
वच्चं किच्चा तित्थगर नाम गोयं कम्मं उवाजियं । सव्वट्टसिद्धविमाणे अहमिंदो देवो जाओ । सव्वट्टसिद्धविमाणस्स तैंतीससागरोवमं आउपुण्णं किच्चा तओ चविऊण गजपुरे जम्मं, पिउस्स नाम सुरसेणो, माउस्स नाम सिरीदेवी, आउ पंचनउई सहस्वरिसं, सावणकिण्हा नवमी दिवसे गब्भकल्लाणगं, विसाहकिण्ह चउदसी दिवसे जम्मकल्लाणगं, कुमारपण तेवीससहस्स पन्ना - सोत्तरं सत्तसया वीसा, सत्तचत्तालीस सहस्सवरिसं रज्जं करीअ, एगसहस्सपरिवारेण सद्धिं अभयकरा सिवियारूढो वेसाहकिन्हा पंचमए दिक्खिओ जाओ । पढ भिक्खादायारो नाम वग्घसीहो, पढमे भिक्खाए खीरं लहूं, छउमत्थावत्था सोडसवरिसा, तिलगनाम चेइयरुक्खतले चेत्त सुक्कतइया केवलणाणं, वेसाहकिण्हा पडिवया निव्वाणं, पणतीसधणुप्पमाणं देहमाणं, कंचण
कुन्थुनाथ प्रभोः चरित्रम्
||८४८ ॥

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