Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 874
________________ कल्पसूत्रे सशब्दार्थे मल्लीनाथ प्रभोः ॥८५८॥ चरित्रम् दिणे निव्वाणं, देहप्पमाणं पणवीसं धणूइंमाणं, . नीलोवण्णा कुंसलवां, णायगगणहरो भिप्फनामा, अग्गणी साहुणी बधूमई, पव्वज्जाकालो नवसयोत्तर चउवन्नसहस्सो, गणहराणं संखा अट्ठावीसं, साहुणं संखा चत्तालीससहस्सा, साहुणीणं संखा पणपन्नसहस्सा, सावयाणं संखा एगलक्ख चउरासीइसहस्सा; सावियाणं संखा तिलक्खपणसट्ठिसहस्सा, साहु केवली दो सयोत्तर तिण्णिसहस्सा, साहुणी केवली चत्तारिसयोत्तर छसहस्सा, ओहिणाणीणं संखा दो सहस्सा, मणपज्जवनाणीणं संखा अटुसया, चउद्दसपुग्विणं संखा अडसठ्ठत्तर छसया, वेउव्वियलद्धिधराणं संखा पणतीससया, वाईणं संखा चउद्दससया, सासणकालो चउवन्नलक्खवरिसो, सासणदेवो कुबेर, सासणदेवी वेरट्टा॥ ॥८५८॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912