Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 879
________________ कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥८६३॥ कुन्थुनाथ प्रभोः । चरित्रम - - | वेउब्बियलद्धिधराणं संखा, दो सयोत्तर दो सहस्सा, वाईणं संखा, बारससया सासणकालो छलक्खवरिसो, संखेज्जा पट्टा मोक्खं गया, सासणदेवो वरुणो सासणदेवी अवखुत्ता॥ ....२०-श्रीमुनिसुव्रतप्रभु का चरित्र... भावार्थ-जम्बूद्वीप के अपरविदेह में भरत नामक विजय में चंपानाम की नगरी थी। वहां सुर श्रेष्ठ नाम का राजा राज्य करता था। उसने नन्दनमुनि के पास दीक्षा 4 ग्रहण की और तपस्या कर तीर्थंकर नामकर्म का उपार्जन किया। अन्तसमय में संथारा कर वह अपराजित देवलोक में अहमिन्द्र देव हुआ। , . ..... वहां से चवकर अपराजित देवलोक की स्थिति ३२ सागरोपम, जन्म नगरी.राज: गृह, पिता का नाम सुमित्रसेन, माता का नाम पद्मावती, आयुष्य तीस हजार वर्ष, गर्भकल्याणक श्रावण शुक्ल पूर्णिमा, जन्मकल्याणक ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी, कुंवरपद साढे । ॥८६३||

Loading...

Page Navigation
1 ... 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912