Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
||८३५||
कितने पाट मोक्ष में गया असंख्याता, शासनदेव षण्मुख, शासन देवी विजया ॥ १४ अनंतनाह हुस्स चरितं -
मूलम् - धायइसंडे दीवे पुब्वविदेहखेत्ते एरावयविजए अरिट्ट नाम णयरी होत्था, तत्थ पउमरहो नाम राया, सो चित्तरक्खो आयरियसमीत्रे दिक्खिओ जाओ । बीस ठाणा आराहिय तित्थयर नामगोयं कम्मं निबंधं, कालंतरे आउपुण्णं किच्चा पाणए देवलोए बीस सागरोवमठिईओ देवो जाओ, तओ पच्छा दसमाओ देवलोगाओ चविय विणेयाए नयरीए सहिसेणो राया, सुजसा देवीए गर्भमि पुत्तत्ता उववण्णो, आउतीसलक्खवरिसं, सावणकिण्हसत्तमीए गब्भकल्लाणगं, जम्मकल्लाणगं, वेसाहकिण्हा तेरसदिवसे, कुमारपए अद्धसहियं सत्तलक्खवरिसं, पण्णरस लक्खबरिसं रज्जं करेइ, एगसहस्स परिवारेण
Y
अनन्तनाथ
प्रभोः
चरित्रम्
॥ ८३५॥

Page Navigation
1 ... 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912