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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
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कितने पाट मोक्ष में गया असंख्याता, शासनदेव षण्मुख, शासन देवी विजया ॥ १४ अनंतनाह हुस्स चरितं -
मूलम् - धायइसंडे दीवे पुब्वविदेहखेत्ते एरावयविजए अरिट्ट नाम णयरी होत्था, तत्थ पउमरहो नाम राया, सो चित्तरक्खो आयरियसमीत्रे दिक्खिओ जाओ । बीस ठाणा आराहिय तित्थयर नामगोयं कम्मं निबंधं, कालंतरे आउपुण्णं किच्चा पाणए देवलोए बीस सागरोवमठिईओ देवो जाओ, तओ पच्छा दसमाओ देवलोगाओ चविय विणेयाए नयरीए सहिसेणो राया, सुजसा देवीए गर्भमि पुत्तत्ता उववण्णो, आउतीसलक्खवरिसं, सावणकिण्हसत्तमीए गब्भकल्लाणगं, जम्मकल्लाणगं, वेसाहकिण्हा तेरसदिवसे, कुमारपए अद्धसहियं सत्तलक्खवरिसं, पण्णरस लक्खबरिसं रज्जं करेइ, एगसहस्स परिवारेण
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अनन्तनाथ
प्रभोः
चरित्रम्
॥ ८३५॥