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अनन्तनाथ प्रभोः चरित्रम्
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कल्पसूत्रे । सद्धिं वेसाहकिण्हा चउद्दसी दिवसे पंचवण्णा सिवियारूढो दिक्खिओ जाओ। सशब्दार्थे
पढमभिक्खादायारो नाम विजयो, पढमे भिक्खाए खीरं लद्धं, छउमत्थावत्थाए तिण्णिवरिसा, चेतकिण्हा चउत्थदिणे अस्सत्थचेइयरुक्खतले केवलणाणं, चेत्तसुक्क पंचमीदिणे निव्वाणं, पन्नासधणुप्पमाणं देहमाणं, कंचणवणो, सीहलक्खणो, नायक गणहरो, जसो हरो, अग्गणी साहुणी पउमावई, पव्वज्जाकालो अधुत्तर सत्तलक्खवरिसो, गणहराणं संखा पन्नासा, साहुणं संखा छावद्रिसहस्सा, साहुणीणं संखा विसट्टिसहस्सा, सावयाणं संखा छसहस्सोत्तरदोलक्खा, सावियाणं संखा चउद्दससहस्सोत्तर चत्तारि लक्खा, साहु केवलीणं संखा पंचसहस्सा, साहणी केवलीदससहरसा, ओहिणाणीणं संखा. तिष्णि सयोत्तर चत्तारि सहस्सा मणपज्जवनाणीणं संखा, पंचसहस्सा, चउद्दसपुव्वीणं
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