Book Title: Jivan ka Utkarsh Author(s): Chitrabhanu Publisher: Parshwanath Vidyapith View full book textPage 9
________________ प्रकाशकीय प्रस्तुत पुस्तक 'जीवन का उत्कर्ष : जैन दर्शन की बारह भावनायें पूज्य श्रीचित्रभानुजी द्वारा अंग्रेजी भाषा में रचित 'Twelve Facets of Reality: The Jain Path to Freedom' का हिन्दी अनुवाद है। जैन धर्म-दर्शन में अत्यन्त महत्त्व रखने वाली बारह भावनाओं पर अपने तरह का यह एक अनूठा ग्रंथ है जिसमें पूज्य श्रीचित्रभानु ने अपनी सरल, मोहक एवं सुबोधगम्य शैली में बारह भावनाओं के महत्त्व को बड़े सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है। पाठक बिना किसी शब्दजाल में पड़े सहज ही भावनाओं के महत्त्व एवं उपादेयता को हृदयंगम कर लेता है। 'भाव्यते इति भावना' अर्थात् संसार के प्रति वैराग्य उत्पन्न करने के लिये जिस वस्तु का बार-बार स्मरण किया जाता है तथा जिसकी सहायता से आत्मा को संसार के बन्धन से मुक्त किया जा सके, वह भावना हैभावणाजोगसुद्धप्पा जले नावा व आहिया। इसलिये भावनाओं से भावित होना प्रत्येक साधक के लिये आवश्यक है। ऐसे महत्त्वपूर्ण विषय पर अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध ग्रंथ को हिन्दी भाषा में अनुदित कर डा० प्रतिभा जैन ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। वे निश्चय ही बधाई की पात्र हैं। हम आभारी हैं श्री दुलीचन्दजी जैन के जिन्होंने यह ग्रंथ पार्श्वनाथ विद्यापीठ को प्रकाशनार्थ दिया। श्री दुलीचन्दजी का यह पार्श्वनाथ विद्यापीठ से प्रकाशित होनेवाला चौथा ग्रंथ है। उनके विद्यापीठ के प्रति अकादमिक विश्वास एवं आत्मीयता के लिये हम उनके अत्यन्त आभारी हैं। इस ग्रंथ के प्रकाशन तथा उसकी भाषागत एवं तथ्यात्मक अशुद्धियों को दूर कर उसे शुद्ध एवं प्राञ्जल रूप देने में डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय, डाइरेक्टर इंचार्ज, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, का महत्त्वपूर्ण अवदान रहा है, एतदर्थ हम उनके प्रति अपना आभार ज्ञापित करते हैं। ग्रंथ के प्रकाशन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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