Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
[16]
HHHHHH
HHHH
*
****
*HHHHHHHHHHHHHHHHHHHH
क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या क्रमांक विषय पृष्ठ संख्या ७८. बादर जीवों का अल्प बहुत्व ३११/दशविधाख्या नवम प्रतिपत्ति ७९. सूक्ष्म बादर जीवों का शामिल
1८८. दस प्रकार के संसारी जीव ३३८ अल्पबहुत्व
|८९. दस प्रकार के संसारी जीवों की .. ८०. निगोद वर्णन
___काय स्थिति, अंतर और अल्प बहुत्व ३३९ ८१. निगोदों का अल्प बहुत्व
सर्व जीवाभिगम . सप्तविधाख्या षष्ठ प्रतिपत्ति
९०. सर्व जीव द्विविध वक्तव्यता ३४३-३५८ ८२. सात प्रकार के संसारी जीव ३२६
| ९१. सर्व जीव त्रिविध वक्तव्यता . ३५८-३६८ ८३. सात प्रकार के संसारी जीवों की
९२. सर्व जीव चतुर्विध वक्तव्यता ३६८-३७५ ___ काय स्थिति, अंतर और अल्पबहुत्व ३२७
९३. सर्व जीव पंचविध वक्तव्यता ३७५-३७७ अष्टविधाख्या सप्तम प्रतिपत्ति ९४. सर्व जीव षड्विध वक्तव्यता ३७८-३८३ ८४. आठ प्रकार के संसारी जीव ३२९ ९५. सर्व जीव सप्तविध वक्तव्यता ३८३-३८७ ८५. आठ प्रकार के संसारी जीवों की ९६. सर्व जीव अष्टविध वक्तव्यता ३८७-३९०
स्थिति, अंतर और अल्प बहुत्व ___३३० ९७. सर्व जीव नवविध वक्तव्यता ३९१-३९६ नवविधाख्या अष्टम प्रतिपत्ति |९८. सर्व जीव दसविध वक्तव्यता ३९६-४०३ ८६. नौ प्रकार के संसारी जीव ३३६ ८७. नौ प्रकार के संसारी जीवों की
काय स्थिति, अन्तर और अल्प बहुत्व ३३६
ह
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org