Book Title: Jinvani Special issue on Acharya Hastimalji Vyaktitva evam Krutitva Visheshank 1992 Author(s): Narendra Bhanavat, Shanta Bhanavat Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal View full book textPage 9
________________ • vili • व्यक्तित्व एवं कृतित्व २६३ २६३ २६४ २६४ २६५ २६५ २६६ २६७ २६७ २६८ २६६ २६६ و २०. आह्वान २१. वीर-सन्देश २२. जिनवाणी की महिमा २३. जिनवाणी का माहात्म्य २४. सच्चा श्रावक २५. सच्ची सीख २६. हित-शिक्षा २७. देह से शिक्षा २८. शुभ कामना २६. संघ की शुभ कामना ३०. भगवत् चरणों में ३१. सुख का मार्ग-विनय ३२. सेवा धर्म की महिमा ३३. यह पर्व पर्युषण आया ३४. पर्युषण है पर्व हमारा ३५. शील री चुन्दड़ी ३६. पालो पालो री सौभागिन बहनो ३७. भगवान तुम्हारी शिक्षा ३८. विदाई-सन्देश प्राचार्य श्री के प्रेरणास्पद प्रवचन १. जैन साधना की विशिष्टता २. जैन आगमों में सामायिक ३. जैन आगमों में स्वाध्याय ४. जैनागमों में श्रावक धर्म ५. ध्यान : स्वरूप-विश्लेषण ६. प्रार्थना : परदा दूर करो ७. अहिंसा-तत्त्व को जीवन में उतारें ८. जीवन का ब्रेक-संयम ६. तपोमार्ग की शास्त्रीय-साधना १०. अपरिग्रह : मानव-जीवन का भूषण ११. कर्मों की धूपछाँह १२. जो क्रियावान् है वही विद्वान् है २७२ २७२ २७३-३५६ २७३ २७६ اللہ اللہ س २६५ ३०५ ३१५ ३२१ ३२७ ३३४ ३४२ ३४६ ३५३ ००० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 378