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• प्राचार्य श्री हस्तीमलजी म. सा.
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२१. बिखरे सूत्रों को जोड़ने की कला-स्वाध्याय
: प्रो० उदय जैन २२. स्वाध्याय के प्रबल प्रेरक : श्री चैतन्यमल ढढ्ढा
२१६ २३. वीतरागता के विशिष्ट उपासक : श्री सम्पतराज डोसी २१८ २४. आचार्य श्री एवं नारी-जागृति : श्रीमती सुशीला बोहरा २२० २५. नारी-चेतना और प्राचार्य श्री : कुमारी अनुपमा कर्णावट २२६ २६. आचार्य श्री हस्ती व नारी-जागृति: डॉ० कुसुमलता जैन २७. आचार्य श्री की समाज को देन : नीलमकुमारी नाहटा
२३७ २८. अहिंसा के प्रचार-प्रसार में
आचार्य श्री का योगदान : श्री हँसमुख शांतिलाल शाह २४२ २६. जीवन्त प्रेरणा-प्रदीप : डॉ० शान्ता भानावत २४४ ३०. साधुत्व के आदर्श प्रतिमान : डॉ० महावीरमल लोढ़ा २४७
तृतीय खण्ड प्रेरक पद एवं प्रवचन
२४६-३५६ प्राचार्य श्री के प्रेरक पद २४६-२७२ १. मेरे अन्तर भया प्रकाश २. आत्म-स्वरूप
२४६ ३. आत्म-बोध
२५० ४. सब जग एक शिरोमणि तुम हो
२५१ ५. श्री शान्तिनाथ भगवान की प्रार्थना ६. पार्श्व-महिमा
२५२ ७. प्रभु-प्रार्थना
२५३ ८. गुरु-महिमा
२५४ ६. गुरुवर तुम्हारे चरणों में
२५५ १०. गुरु-भक्ति ११. गुरु-विनय
२५६ १२. सामायिक का स्वरूप
२५७ १३. सामायिक-सन्देश
२५७ १४. सामायिक-गीत
२५८ १५. जीवन-उत्थान गीत १६. स्वाध्याय-सन्देश
२६० १७. स्वाध्याय-महिमा
२६० १८. स्वाध्याय करो, स्वाध्याय करो
२६१ १६. जागृति-सन्देश
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