________________
• vi
व्यक्तित्व एवं कृतित्व
२६. गुरु-गुण लिखा न जाय : श्री अशोककुमार जैन ३०. नैतिक उत्थान के प्रबल पक्षधर : श्रीमती ऋचा सुनील जैन
द्वितीय खण्ड
७६ ७६
९३
१२
२
१२७
कृतित्व-मूल्यांकन
८१-२४८ १. आचार्य श्री की काव्य-साधना : डॉ० नरेन्द्र भानावत २. आगम-टीका-परम्परा को
आचार्य श्री का योगदान : डॉ० धर्मचन्द जैन ३. प्राचार्य श्री की आगम-साहित्य को देन : डॉ० उदयचन्द्र जैन
१०१ ४. आचार्य श्री की इतिहास-दृष्टि : डॉ० भागचन्द जैन 'भास्कर' ५. इतिहास-दर्शन : संस्कृति-संरक्षण ।
: डॉ० प्रेमसुमन जैन ६. आचार्य श्री हस्ती : वचन और प्रवचन
: डॉ. महेन्द्रसागर प्रचंडिया । ७. आचार्य श्री और उनके प्रवचन : प्रो० महेन्द्र रायजादा १३२ ८. आचार्य श्री का प्रवचन-साहित्य : : डॉ० पुष्पलता जैन
१३६ ६. प्राचार्य श्री की दार्शनिक मान्यताएँ : डॉ० सुषमा सिंघवी
१४४ १०. आत्मधर्मी आचार्य श्री की। लोकधर्मी भूमिका : डॉ० संजीव भानावत
१५५ ११. आत्म-वैभव के विकास हेतु प्रार्थना : डॉ० धनराज चौधरी १६०
आचार्य श्री के साहित्य में साधना का स्वरूप
: श्री केशरीकिशोर नलवाया १३. साधना. साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान : श्री लालचन्द जैन
१६६ १४. आत्म-साधना और आचार्य श्री : डॉ० प्रेमचन्द्र रांवका १७५ १५. साधना का स्वरूप और
प्राचार्य श्री की साधना : श्री कन्हैयालाल लोढ़ा १७६ १६. आचार्य श्री की देन : साधना के क्षेत्र में
: श्री चाँदमल कर्णावट १७. प्राचार्य श्री की साधना विषयक देन : श्री जशकरण डागा
१६२ १८. सामायिक साधना और प्राचार्यश्री: श्री फूलचन्द मेहता
१६६ १६. सामायिक-स्वाध्याय महान् : श्री भंवरलाल पोखरना २०६ २०. स्वाध्याय : 'इस पार' से 'उस पार' जाने की नाव
: श्रीमती डॉ० कुसुम जैन
२१०
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org