Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh Author(s): Danmal Shankardan Nahta Publisher: Danmal Shankardan NahtaPage 24
________________ मानना। जिनेश्वर देव ने आत्मा आदि द्रव्यों का यथार्थ स्वरूप बतला कर आत्मोन्नति के मार्ग (धर्म) बतलाकर अपने पर महान उपकार किया है हसलिये उपकार को स्मरण कर, मान कर, उनकी भक्ति करना योग्य है। मूर्ति पूजा से लाभ १ उद्देश्य के पूर्तिका होना यह उसका लाभ है उन्नत होते २ परमात्म रूप बन जावे यह हो उत्कृष्ट २ उपरोक्त उत्कृष्ट लाभ होनेके साथ २ और भी अनेकों लाभ देखने में आते हैं जिनमें से कई एक ये हैं:= ___ (क) प्रभु मूर्तिके दर्शन और पूजनादि से अच्छे भावों की जाति होती है इससे "भावविशुद्धि” नामक लाभ होता है। (ख) श्रद्धा स्थिर रहती है कोइ स्थानोंमें यह देखा जाता है कि उधर मुनि विहार आदि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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