Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 105
________________ उपाय से शासन की उन्नति हो, अनेक जीव धर्म को प्राप्त करें, सम्यक्त्व दृढ़ एवं निर्मल हो वैसे ही ढंगसे पूजा भक्ति विशेष रोतिसे करनी चाहिए। इसके सम्बन्धमें शास्त्रोमें विधिवादमें यथेष्ट उल्लेख मिलता है एवं चरितानुवाद में तो अनेक पुण्यशाली प्राणियोंने आचरण किया है। इसीसे समझ लेना चाहिए। यहां विस्तार हो जाने के कारण विशेष नहीं लिखा जाता है। पर यह मुख्य रूपसे ध्यान में रखना चाहिए कि द्रव्य-पूजाके प्रति किंचित भी अनादर व अल्पादर कभी नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा किया गया तो अवश्य भव वृद्धिके कर्म बन्धेगे। (२३) जिनेश्वर की पूजा करते समय भावना कैसी होनी चाहिए व प्रभु की कौनसी अवस्था का चिन्तन करना चाहिये, यह जानना जरूरी है। भगवान को छद्मावस्था, ज्ञानावस्था एवं सिद्धावस्था इन तीनों अवस्थाओंका चिन्तवन करना चाहिये। छमावस्था के गृहस्थपन तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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