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( १९२ ) ५ गर्भगृह के अन्दर कोई भी काम करना हो वह अष्टपुट मुखकोश बांधकर हा करना चाहिये।
६ प्रथम गर्भगृहके दीवारोंका तथा खिड़कियों बगैरह का कचरा निकाल कर पश्चात रंगमंडपका कचरा निकालना चाहिये। तदनन्तर प्रभुजी को मोरपंखी से प्रमाजेन कर सिंहासन का, सिंहासनके चालीका तथा गर्भगृहका समस्त कचरा निकालना चाहिये और जीव रक्षा हो सके ऐसे योग्य स्थानमें उस कचरे को गिराना चाहिये।
७ पूजाके पात्रोंका उपयोग करनेसे पहिले उनको धोकर साफ करना चाहिये एवं धूपदान को भी खंखेर कर पीछे काममें लेना चाहिये।
८ जहांतक हो सके स्नात्र-जल को पव्वासन से नीचे नहीं गिरने देना चाहिये। यदि कदाचित भूलसे गिर भो जाय तो उसे उसी क्षण साफ कर लेना चाहिये।
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