Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 123
________________ ( ११० ) १४ जलसे हाथ धोकर रुमाल से पोंछना चाहिये, न कि पूजाके वस्त्रोंसे अथवा कम्बलीसे वो दीवार थंभे आदिसे। १५ स्नात्रजल, अगलुहण व हाथ धोया हुमा जल, छत अथवा खाल में नहीं गिराकर किसी पात्रमें डालकर योग्य स्थानमें गिराना चाहिये। १६ अङ्गीमें कटोरियां (कचोलियां) प्रतिमा जी के चिपकाते समय कटोरियोंके पहिले की लगी हुई केशर को साफ कर पश्चात चिपकानी चाहिये। १७ मन्दिरजीमें गृहकम का बात अथवा किसी भी तरह की फजल बातें और क्लेश उत्पन्न करनेवाली निन्दा इत्यादि विकथा नहीं करनी चाहिये तथा अविनय हो इस तरह का कोई भी कार्य नहीं करना चाहिये। १८ बोलकुंचियोंमें (खसकुंचियोंमें) जलांश रह जानेसे जीवोत्पत्तिको सम्भावना है, इसलिये Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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