Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 122
________________ ( ११३ ) ६ प्रत्येक प्रतिमाजी के किसी भी अङ्गमें जलांश न रह जाय, इस वास्ते अङ्ग लुहण की बत्ती बनाकर उस अङ्गको साफ कर लेना चाहिये । १० प्रतिमाजी को अङ्गहा, केशर, पुष्प, बालकुंची (खसकुंची ) बरास, आदि कोई भी पूजा का सामान अपने हाथके सिवाय और किसी भी अङ्ग से स्पर्श नहीं होना चाहिये । ११ प्रतिमाजी की अङ्ग पूजा की कोई भी वस्तु नीचे जहां चलना फिरना, उठना बैठना, खड़ा होना आदि होता है ऐसी जगह नहीं रखनी चाहिये । पर उनको किसी पट्ट े वा बाजोठ पर ऊंचो जगह पर रखना चाहिये । १२ भगवान के दाहिनी तरफ दीपक एवं बाईं तरफ धूपदान रखना चाहिये । १३ अपने कपाल में तिलक करके, एवं कदाच पूजा करते समय अपना हाथ शरीर के किसी भी भाग अथवा वस्त्रसे अड़ गया हो तो फिरसे हाथ धोकर पूजा करनी चाहिये । For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

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