Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 134
________________ शीघ्रता कीजिये! नहीं तो पछताना पड़ेगा !! श्रीअभय जैन ग्रन्थमालाकी प्रकाशित पुस्तकें अवश्य खरीदिये! उक्त ग्रन्थमाला श्रीमान् शंकरदानजी नाहटा के पुत्ररत्न स्व० अभयराजजी नाहटा के स्मार्थ वि० सं० १९८२ में स्थापित की गई थी। बाबू भभयराजजो बहुत ही उच्च विचारवाले एवं सुधार-प्रिय थे। आपके हृदयमें समाज सुधार एवं शिक्षा-प्रचार की भावनाएं कूट २ कर भरी हुई थीं ; हर घड़ी आप इसी चिन्ता में निमग्न रहते थे कि इस ओसवाल जाति की डूबती हुई नौकाका किस प्रकार उद्धार हो। आपकी भावनाएं खिल हो नहीं पाई थीं; कि उसके पहले ही दुर्दैव-वश कराल-काल ने उन्हें अपना ग्रास बना लिया। बस, आपकी प्रबल भावनाओंको चिर स्मर्ण रखनेके लिये हो इस माला की स्थापना हुई, और थोड़े ही कालमें इस मालाके बहुत ही उपयोगी निम्नलिखित छः पुष्प प्रकाशित हो चुके हैं। आशा है, प्रत्येक महाशय इससे लाभ उठायेंगे। (१) अभयरत्नसार । पुस्तक क्या थी, वास्तविक में रत्न ही ; इस पुस्तकमें खरतर गच्छीय पंचपतिक्रमण, साधु प्रतिक्रमण सूत्र, पक्खी सूत्र के साथ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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