Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 136
________________ स्त्रियोंके लिये तो मानो यह उनका सौभाग्य ही है, हरघड़ी प्रत्येक स्त्री को पासमें रखनी चाहिये। मूल्य १) मात्र । (४) विधवा-कर्तव्य । (ले० अगरचन्द नाहटा) ताड़ पत्र पर लिखित प्राचीन "विधवा कुलक” नामक प्राकृत कुलक का मूलसह विस्तृत विवेचनात्मक भाषानुवाद है। अन्तमें विधवाकव्य नामक स्वतंत्र लेख में विधवा स्त्रियों के प्रायः सभी कर्तव्यों पर काफी प्रकाश डाला गया है। सच लिखा जाय तो विधवा स्त्रियों के जीवन को सार्थक बनाने के लिये यह अमूल्य ही है। पृ० सं० ७२ मूल्य १) मात्र । (५) स्नात्र पूजादि संग्रह । इसमें स्नात्र पूजा, अष्ट प्रकारी पूजा, दशत्रिक स्तवन आदिका अच्छा संग्रह है। दो पैसे की टिकट भेजनेपर मुफ्त भेजी जाती है। (६) जिनराज भक्ति आदर्श। प्रस्तुत पुस्तक पाठकों के हाथमें ही है। "हाथ कंकण को आरसी क्या' कहावत के अनुसार लिखने की आवश्यकता नहीं। दो आने की टिकट भेजने पर पुस्तक भेट की जायगी। अब इस ग्रन्थमाला द्वारा ऐतिहासिक और तत्वज्ञानके सुन्दर २ ग्रन्थ शीघ्र प्रकाशित होनेवाले हैं। साहित्य प्रेमी पाठकों को Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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