Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 135
________________ ही साथ बहुत से मनोहर स्तवन, सझाय, रास, स्तोत्र और तपविधियें आदि का बहुत ही अच्छा संग्रह एवं अन्तमें हिन्दी भाषामें "भक्ष्या-भक्ष्य विचार” नामक लेख है। विशेष क्या कहा जाय इसकी प्रशंसा के लिये इतना ही लिखना पर्याप्त होगा, कि लोगोंने इतना अपनाया कि अब स्टाकमें पुस्तकें नहीं रही। पृष्ठ संख्या ८०० सजिल्द मूल्य ॥) (२) पूजा संग्रह। पुस्तक का नाम ही इसकी उपयोगिता प्रकाशन के लिये काफो होगा। इसमें भिन्न २ महान कविनों की रचित १७ पूजाओं के साथ समयसुन्दरजी महाराज की अप्रकाशित चौवीसी तथा भाव-पूर्ण स्तवन भी दे दिये गये हैं, पृष्ठ ४६४ होने पर भी सजिल्द का मूल्य रु. १) मात्र। पुस्तक अवश्य आदरणीय है, बिकने पर 'अभयरत्नसार" की तरह इसके लिये भी हाथ मलते रहना पड़ेगा। (३) सतीमृगावती। (ले० भंवरलाल नाहटा) कौशाम्बी अधिपति राजा शतानीक की महिषी सती मृगावती का जीवन चरित्र है। पुस्तक बड़ी ही रोचक एवं सतीत्व रससे सनो हुई है इसे पढ़कर आप अपने हृदय में महान् शान्ति मिली हुई पावेंगे, आपके हृदय पर सतीत्व एवं सहनशीलता की गहरी छाप पड़ो हुई देखेंगे। इतना होते हुए भी भाषा अति सरल है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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