Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 126
________________ ( १९७ ) ७ इसके पश्चात हरेक मुख्य गर्भगृहके वाहर नजदीक हो जहाँ सब को दृष्टि पड़ सके, ऐसी जगह किसी लालटेन अथवा ढक्कनवाले दीपक दीवीके उपर दीपक करना चाहिये । और उस दीपक के बगल ही में अगरवत्ती किसी पात्र में एवं घृत भी किसी पात्रमें रखना चाहिये (घृत के पात्र को ढांकने का हरदम खयाल रखना चाहिये) कि जिससे विना स्नान किये हुए को भी धूप दीप करने का एवं घृत डालने का सुभीता रहे । = हरेक मुख्य गर्भगृह के आगे मन्दिरजी खुलने से मंगलिक तक दीपक जलता रहे एवं उपर नीचे के गर्भगृहों में जबतक पूजारी पूजा धपादि करे तब तक दीपक जलता रहे इतनाही दीपक में घृत डालना चाहिये, अधिक नहीं डालना चाहिये, आवश्यकता हो तो बीच २ डाल देना चाहिये, क्योंकि ऐसा होनेसे घृत का दुरुपयोग नहीं होता। आवश्यकतासे अधिक दीपक नहीं करना चाहिये । For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

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