Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

Previous | Next

Page 117
________________ जिनेन्द्र सम्बन्धीय साधारण ज्ञान । (लेखक पं० चन्दुलाल) हे जिज्ञासुवृन्द ! इस संसार में अनन्त जीव हैं, वे सब ज्ञान, दर्शन, चारित्व गुण की अपेक्षा से एक समान हैं, अस्तु श्रीजिनेन्द्र भगवान और अपन ज्ञानादिक गुण की अपेक्षा से एक समान हैं। तो श्रोजिनेन्द्र भगवान पूज्य और अपन पूजक, श्रीजिनेन्द्र भगवान तो तीन लोक के स्वामी, और अपन सेवक, श्रीजिनेन्द्र भगवान परमात्मा और अपन बाह्यात्मा, श्रीजिनेन्द्र भगवान अनन्त ज्ञानी और अपन अज्ञानी, श्रीजिनेन्द्र भगवान ध्येय और अपन ध्याता, इत्यादि इतना अधिक प्रभेद होनेका क्या कारण है ? इसके सम्बन्धमें विचार करने से एवं गुरुगमसे अनुभव करनेसे मालुम होगा कि यह आत्मा अनन्त शक्तिवाला है, पर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138