________________
( ३ ) अर्थात एक साथ जोड़े हुए इस तरह से चार प्रकार से चढ़ाए जाते है। इसमें सुई से सीये जानेवालोंका समावेश नहीं है क्योंकि इस तरह से सीकर हार बनाने से जीव जयणा नहीं हो सकती। इसके अलावा और भी कई तरह की हानियां हैं, जिनका वर्णन स्थानाभाव से यहां नहीं किया जाता है। ___ (१६) धूप-दीपादि अग्र-पूजा गर्भगृह के बाहिर ही करनी चाहिए। आजकल धूपदान, मंगलदीप चोमरादि चीजें हिफाजत के वास्ते गर्भगृह के अन्दर ही रखी जाती है और इसी कारण इनको पूजा भी अन्दर ही रह कर की जाती है परन्तु इसमें अविवेक अधिक बढ़ता है
और धूपदीप अन्दर किये जानेसे गर्भगृह कुछ दिनोंमें काला हो जाता है इसलिए इन दो पूजाओंको यथासम्भव गर्भगृहसे बाहिर निकल कर मुखकोश खोलकर करनी चाहिए और यदि कभी अन्दर ही रहकर करनी पड़े तो
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org