Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 35
________________ अष्ट प्रकारी पूजा करते समय रखनेकी भावना ये: (क) जल पूजा :- न्हवण कराते समय विचारना चाहिये कि, हे प्रभो। जिस प्रकार जलसे वाह्य मेल नष्ट होता है उसी तरह मेरे आत्मा के रहे हुए कर्म रूपी मैल नष्ट होवो शुद्ध भाव रूप जलसे। (ख) चन्दन पूजा :- चन्दनमें जिस प्रकार शीतलता और सुगन्धता रही हुई है वैसी ही शीतलता मेरी आत्मामें समभाव (उपशमरूप) प्रगट होवो इस भावना को जागृत होनेके लिये मैं यह पूजा करता हूँ। (ग) पुष्प पूजा :- हे प्रभो जिस प्रकार ये सुमनस (पुष्पनोम) द्रव्य सुगन्ध सहित है वैसे ही सु-मनस याने मन स्वच्छ होकर मेरी आत्मा में भाव सुगन्ध प्रगट होवे । ___ (घ) धूप जा :- हे प्रभो जिस प्रकार यह धूप अशुभ गन्ध को दूर करता है और सुगन्ध को लाता है वैसे ही मेरे अशुभ आत्म परिणाम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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