Book Title: Jambu Charitra Author(s): Chetanvijay Publisher: Gulabkumari Library View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जम्खु चरित्र सुग्राम, जिहां बसे श्क रावड़ नाम । पामर जात कहे सबकोय, रेवती त्रिया पुत्रले दोय ॥ १४ ॥ श्क लवदेव पुत्र गुणधाम, जावदेव पूजा सुतनाम दिदा ले जवदेव सुजान, करें बिहार जपें लगवान १५॥ पञ्च महाबत पालें सदा, क्रोध मान माया नहि कदा। मुनि नवदेव महा गुणवन्त, सुद्ध चेतना झानी सन्त ॥ १६ ॥ (दोहा) इकदिन मुनि जवदेवजी पहुंचे नगर सुयाम । बिहरण कारण यावियो, निज बन्धवके धाम ॥१७॥ नाव देव परणा थकां कङ्कण मोरा हाथ । नारि नागिला परिदर चले जाव जव साथ ॥ १७ ॥ गुरु पासें आए जवें नावदेव नवदेव । जवसे पूवें साधुजी जावदेव का हेव ॥ १७ ॥ हो जब तुम निज जाता को दयायला प्रतिबोध । कठिण साधको पंथ है ज्ञान बिना नदि सोध ॥ २० ॥ कहें साध जबदेवको सुनो हमारै वैन । दिदा लेवे बंधवा तव पावे सुख चैन ॥ २१॥ ( चौपाइ) जावदेव नाश के लाज, दिक्षा बिया पास मुनिराज । बार बरस पाट्यो चारित्र. नेम धरमसुं रहें पवित्र ॥१५॥ एक समे जब जाइ जान, हंस किया परलोक For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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