Book Title: Jambu Charitra Author(s): Chetanvijay Publisher: Gulabkumari Library View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गन्धु चरित्र (चौपाइ) परम पुरुष परमातम देव, बन्दों नाव सहित नित मेव । गुरुके चरण नमो तिर काल, गुरु सम कोइन दीन दयाल ॥६॥ दया करो मुझ सारद माय, तिमर हरो नित लागुं पाय तुम प्रसाद नाषा कलु करों, जम्बू चरित्र नाम ते धरों ॥६॥ राजमही नगरी सोजन्त, समोसरण राजें नगवन्त । वारे पर पदा बैठे जिहां, श्री जिन बीर विराजे तिहां ॥6॥ राजा श्रेणिक सुने वषाण, अमृत धुन बोलें नगवान । एक देवता आयो तिहां, बचन प्रकाशें नगवन जिहां ॥ ए मेरा थित केता जगवान, ते तुम कहो वचन परमान। जगवन कहें सुनो सुर बात, तेरा थित दिन सात विष्यात ॥ १० ॥ एता वचन सुनि जव देव निज थानक पहुंता ततखेव । पूढे श्रेणिक राजा तिहां एकुन देवत उपजें किहां ॥ ११ ॥ श्री जगवान कहें सुन राय, ए सुर जम्बू स्वामी थाय । चरम केवल। जम्बू स्वाम, सुना पाउला नवको नाम १२ ॥ श्रेणिक सुन जम्बूकी बात, पांचे नतमें कहो बिष्यात । एहिज जम्बूछी मका, भरत क्षेत्र सोने विस्तार ॥ १३ ॥ तिलक नगरी है For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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