Book Title: Jaipur Khaniya Tattvacharcha Aur Uski Samksha Part 1 Author(s): Vanshidhar Vyakaranacharya, Darbarilal Kothiya Publisher: Lakshmibai Parmarthik Fund Bina MP View full book textPage 4
________________ जयपुर (खानिया) तत्वचर्चा और उसकी समीक्षा के साथ मुझे भी सम्मानित किया गया था। इस सम्मानमें स्वर्णपदक, प्रशस्ति-पत्र व कीमती ऊनी शालके साथ २५००-दो हजार पाँच सौ रुपयोंकी निधि महामहिम उपराष्ट्रपति श्री बी. डी. जत्ती महोदाके करकमलोंसे प्रत्येक तिहानको समर्पित की गई थी। मैंने २५००-रुपयोंकी इस निधिका उपयोग फण्ड-निर्माणमें करनेकी रूपरेखा निश्चित की थी । अतः दिनांक ९ फरवरो, सन् १९७५ को मेरी पत्नी श्रीमती लक्ष्मीबाईका स्वर्गवास हो जानेपर उनकी स्मृति बनाये रखने के उद्देश्यसे अपनी तरफसे भी उसमें धनराशि मिलाकर मेरे द्वारा फण्डको मूर्तरूप दे दिया गया। इस तरह मिति कार्तिक वदी अमावस संवत् २०३४, दिनांक ११ नवम्बर सन् १९७७ को फण्डकी राशि २०९३७ रुपये ७० पैसे बीस हजार नौ सौ सतीस रुपए सत्तर पैसे है । इस दिन तकका आय-व्ययका हिसाब निम्न प्रकार हैजमाकी विगत खर्चकी विगत २५००)०० तारीख २-११-७४ को सम्मान-निधि ७५६)०० दिनांक ४-७-७४ से १२७१)५१ तारीख १०--.-७५ को कृषि आय दिनांक ११-११-७७ तक खर्च १३१५)७३ तारीख १८--७-७६ को कृषि-आय २०९३७)७० शेष रहा दिनांक १५००००० तारीख १२--९--७७ को जमा किया ११-११-७७ को १६.६)४६ तारीख ११-११-७७ तक का व्याज २१६९३)७० २१६९३)७० अभी तक इस पारमार्थिक फण्डको रांचालन-व्यवस्था लिखित रूपमें तैयार नहीं की गई थी, अतः उसे लिखित रूप दे रहा हूँ। पारमाथिक फण्डको संरचना और संचालन-व्यवस्था १. फण्डका नाम-इस पारमार्थिक फण्डका नाम "स्व. श्रीमती लक्ष्मीबाई (पत्नी ५० वंशीधर शास्त्रो) पारमार्थिक फण्ड, बीना-इटावा" है । २. फण्डका उद्देश्य-- इसका उद्देश्य दिगम्बर जैन संस्कृतिकी मूल-मान्यताओंका संरक्षण व प्रचार करना है । इसकी पूर्ति माहित्य प्रकाशन द्वारा की जायेगी। ३. यतः यह फण्ड वैयक्तिक है अतः इसका संचालन जब तक मैं (वंशीधर शास्त्री) जीवित हूँ तब तक मैं ही करूंगा । मेरी मृत्यु पश्चात् इसका संचालन क्रमशः मेरे पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र आदि तब तक करते रहेंगे जब तक इसमें धनराशिका सदभाव रहेगा। ४. फण्डके मूल उद्देश्यकी पूर्तिके लिए मूल धनराशिका भी उपयोग किया जा सकेगा। इतना अवश्य है कि इसके संवर्धन करनेका यथासंभव प्रयत्न किया जायेगा, जिससे यह अधिक-से अधिक स्थायित्वको प्राप्त कर सके । ५. संचालकके कर्तव्य(क) संचालक फण्ड-निधिका उपयोग उद्देश्यको पूर्ति में ही करेंगे।Page Navigation
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