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ध्यान .
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आध्यात्मिक आधार
प्रेक्षा- प्रेक्षाध्यान पद्धति कायोत्सर्ग पर आधारित है। प्रेक्षाध्यान का प्रारम्भ कायोत्सर्ग यानी शरीर के त्याग से होता है और इसका समापन भी कायोत्सर्ग यानी काया के निरोध, काया के उत्सर्ग से होता है। शरीर और आत्मा एक नहीं है, अलग-अलग है। इस. भेद-विज्ञान का स्पष्टीकरण प्रेक्षाध्यान के द्वारा स्पष्ट किया जाता है । जैन दर्शन का दार्शनिक पक्ष और साधना पक्ष दोनों आत्मा के आधार पर चलता है। पूरा आचारशास्त्र ही आत्मा पर आधारित है।
विपश्यना- विपश्यना पद्धति मन को शांत करने के लिए है, राग-द्वेष कम करने के लिए है, स्वयं को जानने और देखने के लिए है। दूसरे शब्दों में इसे इस प्रकार कह सकते हैं- विपश्यना राग-द्वेष और मोह से विकृत हुए चित्त को निर्मल बनाने की साधना है, दैनिक जीवन के तनाव खिंचाव से विकृत हुए चित्त को ग्रन्थि विमुक्त करने का सक्रिय अभ्यास है।२२६
जैन दर्शन में जहाँ आत्मा की बात कही जाती है, वहीं बुद्ध कहते हैं दुःख को मिटाओ, दुःख के हेतु को मिटाओ, आत्मा के झगड़े में मत पड़ो। महावीर कहते हैंकेवल अग्र को मत पकड़ों मूल तक जाओ।२२७ बुद्ध का दर्शन है-अग्र पर ध्यान केन्द्रित करना, वहीं महावीर का दर्शन है-केवल अग्र नहीं, मूल पर ध्यान केन्द्रित करना। प्रेक्षाध्यान के साथ आत्म-साक्षात्कार का दर्शन जुड़ा है वहीं विपश्यना के साथ दु:ख को मिटाने का दर्शन जुड़ा है। प्रेक्षाध्यान और विपश्यना में कुछ प्रयोग समान हैं, फिर भी उनकी प्रयोग विधि में अन्तर है। नीचे कुछ विधियों का किस-किस ध्यान-पद्धति में प्रयोग किया जाता है इसका उल्लेख किया जा रहा है
श्वास-प्रेक्षा- इसका प्रयोग विपश्यना और प्रेक्षा दोनों में ही किया जाता है। विपश्यना सहज श्वास को देखने पर बल देती है।२२८ प्रेक्षा में दीर्घश्वास पर बल दिया जाता है।२९ विपश्यना में प्रयत्न नहीं किया जाता है जबकि प्रेक्षा में प्रयत्नपूर्वक लम्बा श्वास लेने का निर्देश भी दिया जाता है। जहाँ एक ओर सहज श्वास का प्रयोग है तो दूसरी ओर प्रयत्नकृत दीर्घश्वास का प्रयोग । विपश्यना में कहा जाता है-जो अनायास, सहज श्वास चल रहा है उसकी विपश्यना करो, उसे देखो, किसी प्रकार का आयास मत करो।२३० प्रेक्षा में कहा जाता है -गहरा, लम्बा और लयबद्ध श्वास लें, गहरा, लम्बा और लयबद्ध श्वास छोडें, आते-जाते श्वास की प्रेक्षा करें।२३१ प्रेक्षा में आयास का विरोध नहीं है, अपितु वहाँ पर प्रयत्न द्वारा श्वास लेने का सुझाव दिया जाता है।
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