Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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सौम्यगुणा जी के चैण्क्क वायवा के साक्षी बनने का भी इस संघ को सौभाग्य मिला। तभी से साध्वीवर्या द्वारा आलेखित शोध ग्रन्थ प्रकाशन की भावना जागृत हुई। इस तरह यह वर्षावास युवा-जागृति, धर्म-प्रेरणा, संस्कार–बीजारोपण व आत्म अभ्युदय, सभी दृष्टियों से सफलतम रहा।
इसके अनन्तर पूज्या सुलोचनाश्रीजी म.सा. की सुशिष्याएँ साध्वी प्रियस्मिताश्रीजी आदि ठाणा 6, पूज्या हेमप्रभाश्री जी म.सा. की सुशिष्याएँ साध्वी अमितयशाजी ठाणा 4 का भी चातुर्मास लाभ प्राप्त हुआ।
___ हम आज भी पयूषण पर्वाधिराज की आराधना अत्यन्त भावोल्लास के साथ सम्पन्न करते हैं तथा जिनालय व दादाबाड़ी की वर्षगांठ भक्तिभाव पूर्वक मनाते हैं।
श्री जिनकुशलसूरी दादाबाड़ी बाडमेर ट्रस्ट, मालेगांव
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