Book Title: Jain Tattvagyan Ki Ruprekha
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 8
________________ ( ७ ) वैज्ञानिक युग में जैन तत्त्वज्ञान का विशेष महवा है कि हजारों शताब्दी पूर्व का भारतीय तत्त्वज्ञान आज भी सत्य की कसौटी पर खरा उतर रहा है। हमारे श्रमण संघीय सलाहकार श्री रतनमुनि जी विद्वान विचारक और बहुत मधुर स्वभाव के सन्त हैं । आपके सुशिष्य श्री सतीशमुनिजी ने मुझसे आग्रह किया कि जैन तत्त्व ज्ञान पर एक निबन्ध तैयार कर दूं जो सुगम साहित्य माला के अन्तर्गत प्रकाशित हो जाय । तदनुसार मैंने यह निबन्ध तैयार किया है। आशा है कि सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। -उपाचार्य देवेन्द्र मुनि

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