Book Title: Jain Tattvagyan Ki Ruprekha
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 25
________________ विज्ञान matter कहता है। लोहा, सोना आदि सभी धातुएँ, वृक्ष से अलग हुई लकड़ी आदि जितने भी पदार्थ हम देखते हैं, उपयोग में लेते हैं, वे सभी पुद्गल अजीव हैं। यहाँ तक कि समाचार-पत्र-पत्रिकाएँ जिन्हें हम पढ़ते हैं, वे जिस कागज पर और जिस स्याही से छपते हैं, वे सब भी पुद्गल द्रव्य हैं । पुद्गल द्रव्य से हमारा प्रत्यक्ष सम्पर्क क्षण-प्रतिक्षण पड़ता है। __ अजीव तत्व के पुद्गल के अतिरिक्त अन्य ४ भेद और हैं। वे हैं-(१) धर्मास्तिकाय, (२) अधर्मास्तिकाय, (३) आकाशास्तिकाय और (५) काल। धर्मास्तिकाय द्रव्य के रूप में धर्म शब्द का अभिप्राय उस धर्म से भिन्न है जिसे हम आचार और सिद्धान्त के ( १६ )

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