Book Title: Jain Tattvagyan Ki Ruprekha
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 37
________________ लड्डू का दृष्टान्त दिया जाता है। लड्डू का छोटा बड़ा होना प्रदेश बन्ध का उदाहरण है। वायुनाशक, पित्तनाशक आदि स्वभाव प्रकृतिबंध को द्योतित करता है । मीठा, तीखा आदि रसबन्ध है और यदि इन मोदकों का प्रयोग न किया जाय तो एक निश्चित समय बाद स्वयं ही बिखर जायेंगेउनके दाने (मोती) अलग-अलग हो जायेंगे, यह स्थितिबंध को दर्शाता है। यों बंध की चारों स्थितियों की मानव शरीर के साथ भी तुलना की जा सकजी है। भोजन की पित्त, कफ आदि रूप में परिणति प्रकृतिबंध, रक्त मांस आदि का उपचय प्रदेशबंध, धातु आदि रूप में परिणति रस या अनुभाव बंध, उम्र की बढ़त के साथ शरीर की आयु धारणा, स्थिति, स्थितिबंध के समान समझा जा सकता है। ___ इसके अतिरिक्त प्रगाढ़ता की अपेक्षा भी बंध के चार भेद हैं ( २८ )

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