Book Title: Jain Tattvagyan Ki Ruprekha
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 12
________________ मर गया ? अमुक व्यक्ति क्यों गया ? मृत्यु क्या होती है ? मरने के बाद क्या होता है ? इसी प्रकार उसके मन में प्रश्नों की एक अन्तहीन शृंखला चलती रहती है। ___ इसीलिए तो कुछ उपनिषदों का प्रारम्भ ही 'अथातो आत्मजिज्ञासा' 'अथातो ब्रह्मजिज्ञासा' जैसे वाक्यों से हुआ है। __ अध्यात्म सम्बन्धी मानव जिज्ञासा मानव मस्तिष्क में घुमड़ते इन प्रश्नों को नौ वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है १. मैं स्वयं क्या हूं ? २. मेंरे चारों ओर दिखाई देने वाला विश्व क्या है ? ३. मुझे जो सुख की उपलब्धि हो रही है, उसका कारण क्या है ? ४. मेरे जीवन में जो आपत्ति, दुःख, क्लेश; ( ३ )

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