Book Title: Jain Tattvagyan Ki Ruprekha Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 18
________________ (६) श्वासोच्छ्वास बलप्राण, और (१०) आयु बल प्राण । ___जीवों के दो प्रमुख भेद हैं-(१) संसारी और (२) मुक्त। ___ मुक्त जीवों में सिर्फ आन्तरिक प्राण-ज्ञानदर्शन-सुख और वीर्य ही पाये जाते हैं, उनके बाह्य प्राण होते ही नहीं। बाह्य प्राण तो सिर्फ संसारी जीवों के ही होते हैं और उसमें भी यह आवश्यक नहीं कि सभी संसारी जीवों के दशों ही प्राण हों, कम भी हो सकते हैं। इस कमी का प्रमुख कारण हैं-इन्द्रियाँ । इन्द्रियों की अपेक्षा से संसारी जीव के पांच भेद हैं (१) एकेन्द्रिय जीव-इनके सिर्फ स्पर्शन नाम की एक ही इन्द्रिय होती है । ये जीव पाँच प्रकार के हैं-(१) पृथ्वीकायिक, (२) जलकायिक, (३) ( ६ )Page Navigation
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