Book Title: Jain Tattva Darshan Part 05
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 25
________________ जो अतिशय के रुप में कहलाती है। आठ प्रातिहार्य और चार अतिशय मिलकर अरिहंत भगवान के बारह गुण होते है। 12 गुण = 8 प्रातिहार्य + 4 अतिशय प्रश्न: आठ प्रातिहार्य कहां और कैसे होते है ? उत्तर: देशना देने के लिए देव भक्ति से तीन गढ़ का समवसरण रचते है। सबसे नीचे वाहनों के लिए चाँदी का गढ़, उसके उपर पशु-पक्षियों के लिए सोने का गढ़ और सबसे उपर देव और मनुष्यों के लिए रत्न का गढ़ होता है। चाँदी के गढ़ के चारों ओर दस-दस हजार सीढ़ियाँ होती है। सोने और रत्न के गढ़ के चारों ओर पाँच-पाँच हजार सीढ़ियाँ होती है। इस प्रकार चारों ओर बीस-बीस हजार सीढ़ियाँ होने से समवसरण में कुल 80 हजार सीढ़ियाँ होती है। 10,000 + 5000 + 5000 सीढ़ियाँ = 20,000 सीढ़ियाँ 20,000 सीढ़ियाँ x 4 ओर = 80,000 सीढ़ियाँ आठ प्रातिहार्य इस प्रकार से होते है : 1. अशोक वृक्ष: पूरे समवसरण को ढक दे ऐसा घटादार वृक्ष समवसरण के बीचो-बीच होता है जो ___ भगवान से 12 गुणा बडा होता है। उसके नीचे बैठकर भगवान देशना देते है। 2. सुरपुष्पवृष्टिः समवसरण की भूमि पर देव घुटने तक पैर ढक जाएं इतने पांच रंग के सुगंधी पुष्पों की वर्षा करते है। 3. दिव्यध्वनी: परमात्मा अर्धमागधी भाषा में मालकोष राग में देशना देते है तब आकाश में देव बांसुरी का मधुर स्वर बजाकर वातावरण को संगीतमय बनाते है। 4. सिंहासन: परमात्मा को बिराजमान करने के लिए देवता अशोकवृक्ष के नीचे चारों तरफ एक रत्नजडित सोने का सिंहासन बनाते है। पूर्व दिशा के सिंहासन पर परमात्मा बिराजमान होते है। बाकी की तीन दिशा में व्यंतर देव भगवान के तीन प्रतिबिंब बनाते है। सभी देव मिलकर भी परमात्मा के एक अंगूठे जितना भी रुप नहीं बना सकते ऐसा अद्भुत रुप परमात्मा का होता है। तो फिर परमात्मा की तीन प्रतिकृतियाँ देव कैसे बनाते है? लेकिन परमात्मा का प्रभाव अचिंत्य है। परमात्मा के प्रभाव से व्यंतरदेवों को भगवान के तीन प्रतिबिंब बनाने की शक्ति मिलती है। 5. चामर: समवसरण में चारों दिशाओं में बिराजमान भगवान को दो-दो देव रत्नजडित सोने की डंडीवाले चामर वींझते है। ये चामर चमरी गाय की पूंछ के बालों से बनते है। कुल चार जोडी याने आठ चामर होते है। 6. भामंडल: भा = तेज, प्रकाश ; मंडल = गोलाकार, मण्डली दोपहर बारह बजे क्या हम सूर्य के सामने देख सकते है ? देखने का प्रयास भी करे तो सूर्य के प्रकाश से हमारी आँखे जलने लगती है। और हम वहां से आँखे हटा लेते है। (23)

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