Book Title: Jain Tattva Darshan Part 05
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 33
________________ 8. दिनचर्या A. श्रावक जीवन के चौदह नियम सूचना : आप निम्न बताये अनुसार 14 नियमों की धारणा कम या ज्यादा भी कर सकते है। 1) सचित : जिसमें जीव है उसे सचित कहते है ( कच्चा पानी, कच्चा नमक, सेब, नांरगी, फ्रुट्स, काकडी, टमाटर, आदि सब्जी) प्रतिदिन..... (10 से ज्यादा) उपयोग नही करूँगा। 2) द्रव्य 3) विगई 4) वाणह 5) तंबोल 6) वस्त्र 7) कुसुम 8) वाहन 13) स्नान पपिता आदि सचित का : प्रतिदिन - ( 30 या 40 ) से ज्यादा द्रव्य का उपयोग नही करुगां। : दूध, दही, घी, तेल, गुड (शक्कर) और तली हुई वस्तु (कडाहविगई) यह छ: विगई है। कच्ची और पक्की मिलाकर बारह होती है- प्रतिज्ञा । प्रतिदिन एक विगई कच्ची या पक्की का त्याग करुगां । एक महिने में दो दिन (दो चौदस घी का त्याग ) । एक महिने में - (एक) आंबिल या एकाशना या बियासना करूंगा। : जुता, चप्पल रोज का एक या दो जोडी । ज्यादा नही। : सुपारी, धनिया की दाल, सौफं आदि 10 ग्राम : एक दिन में -(दो) पूरे ड्रेस से ज्यादा नहीं ( सामायिक व पूजा का इसमे गिनना नही ।) : फुल का उपयोग (सुंघना) नही करूंगा या 50 ग्राम से ज्यादा नही करूंगा। (जिन पूजा में नियम नही ।) ——— : आकाश का - प्लेन, हेलीकॉप्टर का आज के दिन त्याग / पानी का - नैया, जहाज का आज के दिन त्याग/जमीन - बस, ट्रेन, कार, आटोरिक्शा, स्कूटर, साईकल, आदि में पाँच से ज्यादा नहीं। 9 ) शयन : बिस्तर, सोफासेट, कुर्सी आदि 20 से ज्यादा नही वापरूंगा। 10) विलेपन : साबुन, तेल, अत्तर आदि 100 ग्राम (या 50 ग्राम) से ज्यादा नही । 12) दिशा 11) ब्रह्मचर्य : दिन का संपूर्ण पालन। रात्रि में -- दिन पालन करूंगा। शादी के पहले संपूर्ण ब्रह्मचर्य इत्यादि। : आज के दिन में 50 कि.मी. ( या 100 कि.मी. से दूर नहीं जाऊंगा ) (हमारे) गांव से बाहर नही जाऊंगा। : नदी, तालाब, कुएँ में स्नान नही करुगां । नल के या फव्वारे के नीचे स्नान नहीं करूंगा । दिन में एक बार 1 बाल्टी (10 लीटर) से ज्यादा पानी से स्नान नहीं करूंगा । (जिन पूजा या किसी की मुत्यु पर दो बार स्नान की छूट ) । 14) भत्तेसु : 10 किलो से ज्यादा आहार पानी नही करूंगा । (आहार - 2 या 3 किलो) (पानी - 7 या 8 लीटर) एवं पृथ्वीकाय, अप्काय (पानी), तेउकाय (अग्नि), वायुकाय, वनस्पतिकाय, और असि, मसि, कृषि के विषय में भी संक्षेप धारणा करना। 31

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