Book Title: Jain Tattva Darshan Part 05
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 50
________________ 5-2. पंचेन्द्रिय मनुष्य : ये भी समुच्र्च्छिम एवं गर्भज दो प्रकार के होते हैं। संमुर्च्छिम मनुष्य : इनका शरीर छोटा होने के कारण एक साथ असंख्य इकट्ठे होने पर भी नहीं दिखते हैं। ये जीव झूठे खाने में, मूत्र आदि मनुष्य के 14 अशुचि स्थानों में उत्पन्न होते हैं। इसलिए झूठा नहीं छोड़ना, थाली धोकर पीना, ग्लास पोंछकर रखना । नियम : किसी का मन नहीं दुखाना, बच्चों को नहीं मारना । 12. विनय - विवेक दान की महिमा हिंदुस्तान की धरती दान से विभुषित है। उसमें भी विशेषकर जैनों में हरेक प्रसंग में दान की मुख्यता होती है। चार प्रकार के धर्म में प्रथम धर्म भी दान है, परंतु ये दान दूषित न हो इसके लिए ये पांच दोष का त्याग करना चाहिए। A. दान के पांच दूषण 1. अनादर 2. विलंब 3. तिरस्कार 4. अभिमान 5. पश्चाताप 1. अनादर : दान करने का मन में कोई भाव ही नही, मात्र भिखारी के क्षेत्र में नहीं परंतु सर्वत्र दान का अभाव । कोई संस्थावालें आते यह विचारें कि ये कहाँ से आये ? पैसा नहीं होता तो ये पीछे पड़ते ही नहीं ? मन में घृणा का भाव ये दान का दूषण है। दान करने पर भी आदर का भाव बिल्कुल नहीं होता। आज बाजु वाले कहते है इसलिए मुझे लिखाना पड़ा। देता जरुर है, पर अनादर पूर्वक। ये दान का प्रथम दूषण है। 2. विलंब: 5 बार विलंब दान का दूसरा दूषण है। दान देता है, पर थोड़ी देर लगाकर । सामने वाले से 4 विनंती कराकर फिर देना । देना तो है परंतु सामने वाले को झुकाकर फिर देना, गुरु भगवंत बोरड़ी गाम में चातुर्मास थे, शिविरार्थी में से एक लड़के ने कहा, - साहेब... कमाल हो गई, मैने पूछा - क्या हुआ ? लडके ने कहा - उपाश्रय के बाजु में एक मुसलमान की बाल काटने की दूकान थी, वहाँ में बाल कटवाने गया। वहाँ एक भिखारी भीख माँगने आया । मेरे बाल काटते-काटते बीच में गल्ले में से पचास पैसे का सिक्का निकालकर भिखारी को दिया। भिखारी चला गया, फिर मैने मुस्लिम भाई से पूछा, चालु बाल काटते काटते भिखारी को दान क्यो दिया? तब उस मुस्लिम ने जो जवाब दिया वो सोचने लायक है, उसने कहा यहाँ आये हुए आचार्य भगवंत के प्रवचन में सुना था दान करते हुए विलंब नहीं करना । इसलिए मैने भिखारी को समयसर पैसे दे दिये। तुम्हारें बाल काटने के बाद देता तो शायद वो मजबुरी के कारण खड़ा जरुर रहता, लेकिन मुझे लगा कि तुमको शायद फर्क नहीं पड़ेगा। इसलिए मैंने उसको बाल काटने के बीच_ 48

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