Book Title: Jain Tattva Darshan Part 05
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 80
________________ 14. जैन भूगोल A. समुद्र में दिखाई देने वाला जलयान आज स्कूलों में पृथ्वी गोल गेंद जैसी है ये समझाने के लिये सबसे पहला प्रमाण हमको यह दिया जाता है कि समुद्र से आता हुआ जहाज जो दूर है, उसका पहले टोच (मस्तूल) वाला भाग दिखाई देगा। जैसे-जैसे जहाज नजदीक आता है. वैसे-वैसे उसका मध्यभाग फिर नीचे का भाग और बिलकल नजदीक आ जाने पर पूरा जहाज दिखाई देता है। इस प्रकार हम सब पढकर आये हैं और स्कूलों में आज भी विद्यार्थी यही पढ़ रहे हैं। इसका कारण यह बताया गया है कि जब जहाज का सिर्फ टोच (मस्तूल) भाग दिखाई देता है, तब पृथ्वी की गोलाई अवरोध बनने से नीचे का बाकी भाग दिखाई नहीं देता है। फिर जैसे-जैसे इस गोलाई को पार करके जहाज नजदीक आता है, वैसे-वैसे पृथ्वी की गोलाई से ढका हुआ भाग दिखाई देगा। अंत में, पृथ्वी की गोलाई पार करते जहाज बिलकुल नजदीक आ जायेगा, तब पूरा दिखाई देता है। इसमें हमको ये भी बताया जाता है कि 9 कि.मी. की दूरी में 1.47 मीटर की गोलाई। 10 कि मी. की दूरी में 2.16 मीटर और 100 कि.मी. की दूरी में 195 मीटर (633.75 फीट) की गोलाई (कर्वेचर) अवरोध रूप बनने से दूर की स्टीमर या जहाँज नहीं दिखाई देता है। इसी तरह किनारे से दूर जाते समय जहाज का पेहले नीचे वाला भाग ढक जायेगा, फिर जैसे जैसे दूरी बढती जायेगी, वैसे वैसे उपर का भाग ढकता

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