Book Title: Jain Tattva Darshan Part 05
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 42
________________ (20) अनजाना फल, पुष्प : हम जिसका नाम और गुणदोष नहीं जानते वे पुष्प और फल अभक्ष्य कहलाते हैं, जिनके खाने से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं, तथा प्राणनाश भी हो सकता है। अत: अनजानी वस्तुएं नहीं खानी चाहिए। अनजाना फल नहीं खाना इस नियम से वंकचूल बच गया और उसके साथी किंपाक के जहरीले फल खाने से मृत्यु का शिकार बन गये। (21) तुच्छ फल : जिस में खाने योग्य पदार्थ कम और फेंकने योग्य पदार्थ ज्यादा हो, जिसके खाने से न तृप्ति होती है न शक्ति प्राप्त होती है, ऐसे चणिया बेर, पीलु, गोंदनी, जामुन, सीताफल इत्यादि पदार्थ तुच्छ फल कहलाते हैं। इनके बीज या कूचे फेंकने से उनपर चींटियाँ आदि अनेक जीव जतु आते हैं और जूठे होने के कारण संमुर्छिम जीव भी उत्पन्न होते हैं। पैरों के नीचे आने से उन जीवों की हिंसा भी होती है। अत: उनके भक्षण का निषेध किया गया है। (22) चलित रस : जिन पदार्थों का रूप, रस, गंध, स्पर्श बदल गया हो या बिगड़ गया हो, वे चलित रस कहलाते हैं। उन में त्रस जीवों की उत्पत्ति होती है। जैसे - सड़े हुए पदार्थ, बासी पदार्थ, कालातीत पदार्थ, फूलन आई हुई हो ऐसे चलित रस के पदार्थ अभक्ष्य हैं, जिन्हें खाने से आरोग्य की हानी होती है। असमय बीमारी आ सकती है और मृत्यु भी हो सकती है। इस तरह के अभक्ष्य पदार्थों को खाने का त्याग अवश्य ही करना हितावह है। मिठाई, खाखरे, आटा, चने, दालिया आदि पदार्थों का काल कार्तिक सुदि 15 से फागुन सुदि 14 के दरमियान ठंड में 30 दिनों का । फागुन सुदि 15 से असाढ़ सुदि 14 के दरम्यान ग्रीष्म ऋतु में 20 दिनों का और आषाढ़ सुदि 15 से कार्तिक सुदि 14 के दरमियान 15 दिनों का होता है। तत्पश्चात् ये सब अभक्ष्य माने जाते हैं। आद्रा नक्षत्र के बाद आम, केरी अभक्ष्य हो जाते हैं। फागुन सुदि 15 से कार्तिक सुदि 14 तक आठ महीने खजूर, खारक, बादाम को छोड बाकी के सूखे मेवे, तिल (बिना ओसायें) एवं मेथी आदि भाजी, धनिया पत्ती आदि अभक्ष्य माने जाते हैं। बासी पदार्थ दूसरे दिन और दही दो रात के बाद अभक्ष्य माना जाता है। उपरोक्त 22 अभक्ष्य पदार्थों के अतिरिक्त पानी पूरी, भेल, खोमचों पर मिलनेवाले पदा, बाजारू आटे के पदार्थ, बाजारू मावे से बने पदार्थ, सोडा, लेमन, कोका कोला, ऑरेन्ज जैसे बोतलों में भरे पेय तथा जिन पदार्थों में जिलेटीन आता हो ऐसे सब पदार्थ अभक्ष्य हैं। बोन-पावडर, कस्टर्ड पावडर, केक, चोकलेट, पाऊ-बटर, सेन्डवीच, चीझ, मटन-टेलो से तली हुई वस्तु...वगैरह। ___ खाने से पहले चिंतन कर लेना चाहिए कि अमुक पदार्थ के खाने से आत्मा एवं शरीर की कोई हानि तो नहीं हो रही है ? हानिकारक पदार्थों को त्यागना शुद्ध और ऊँचे जीवन के लिए अत्यंत हितावह है। श्री सर्वज्ञ भगवान ने 22 प्रकार के अभक्ष्यों के निषेध का आदेश दिया है। वस्तुत: वह युक्ति युक्त है। जिन दोषों के कारण इन पदार्थों को अभक्ष्य कहा गया है वे निम्नानुसार है: 1. कन्दमूलादि बहुत से पदार्थों में अनंत जीवों का नाश होता है। मांस मदिरादि पदार्थों में बेईन्द्रिय से 40

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