Book Title: Jain Tattva Darshan Part 05
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 40
________________ 16 अनंतकाय-कंदमूल 17 आचार 18 द्विदल कच्चा दूध-खीचडी आलू बासी मसाले का कच्ची केरी गुंदा सुरण छाछ भेलपुड़ी लहसुन आचार कच्चा दही-वडा । "अदरकी बासी मसाले का आचार मूली ३२ प्रकार के अनंतकार्य गाजर ___16. अनंतकाय बैंगण बासी काकडी बासी चटनी पपीता का बासी कचुंबर 16. अनंतकाय श्रीखंड के साथ भजीया-मूंगदाल -कडी ये साथ में खाने से द्विदल होते है 16. अनंतकाय 19 20 तुच्छ फल कामवर्धक क्षय कफ रोगोत्पादक बुखार झूठे बीज में समुर्छिम पंचेन्द्रिय गुंदी. “छोटे बोर 19.बेंगण 21 अनजान फल बासी भोजन वडा, पुरी थेपला 20. तुच्छ फल चलितरस 22 आरोग्य ने हानिकारक पदार्थ के वर्ण, गंध, रस, स्पर्श में विकृति, त्रसजीव की उत्पति खोरो खाखरो जैसा अन्न वैसा मन सड़े दानें जहरीले फूल जहरीले फल खाने से मृत्यु पुराने सड़े-फल, सब्जी आद्रा के बाद केरी अभक्ष्य 21. अनजान फल 22. चलित रस २२ त्यागने योग्य अभक्ष्य पंचुंबरि-चउविगई-हिम-विष-करगेअ-सव्वमट्टीअ, राइ भोअयणगं चिय-बहुबीअ अणंत संधाणा॥ घोलवडा-वयांगण-अमुणिअ नामाईं पुप्फ फलाइ, तुच्छ फलं चलिअ-रसं, वज्जे वज्जाणि बावीसं॥१॥ 38

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