Book Title: Jain Tattva Darshan Part 05
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 43
________________ लेकर पंचेन्द्रिय तक के असंख्य त्रस जीवों का नाश होता है। इस प्रकार यह भोजन महा-हिंसा वाला होता है। इसलिए ज्ञानी पुरूषों ने इसे अभक्ष्य माना है। 2. अभक्ष्य पदार्थों के खानपान से आत्मा का स्वभाव कठोर और निष्ठुर बन जाता है। 3. आत्मा के हित पर आघात होता है। 4. आत्मा तामसी बनती है। 5. हिंसक वृत्ति भड़कती है। 6. अनंत जीवों को पीड़ा देने से अशाता वेदनीयादि अशुभ कर्मों का बंध होता है। 7. धर्म विरुद्ध भोजन है । 8. जीवन स्थिरता हेतु अनावश्यक है। 9. शरीर, मन एवं आत्मा के स्वास्थ्य की हानि करता है। 10. जीवन में जड़ता लाता है। धर्म में रूचि उत्पन्न नहीं करता है। 11. दुर्गति की आयु के बंध का निमित्त है। 12. आत्मा के अध्यवसाय को दूषित करता है। 13. काम व क्रोध की वृद्धि करता है । 14. रसगृद्धि के कारण भयंकर रोगों को उत्पन्न करता है। 15. अकाल असमाधिमय मृत्यु होती है। 16. अनंत ज्ञानी के वचन पर विश्वास समाप्त हो जाता है। निम्न पदार्थ में प्राणीज तत्त्व मिश्र होने से अत्यंत अभक्ष्य हैं : 1. जिलेटीन : प्राणियों के हड्डियों का पाउडर है। यह जेली आईस्क्रीम, पीपरमेन्ट, केप्सुल, चुइंग गम आदि बनाने में काम लिया जाता है। 2. जुजीन्स, एक्स्ट्रा स्ट्रोंग सफेद पीपरमेन्ट, जेली क्रिस्टल : इन में जिलेटीन है। 3. सेन्डवीच स्प्रेड मेयोनीज : इसमें खास अंडे का रस है जो ब्रेड के उपर लगाया जाता है। 4. ब्रेड पाउ: इसमें अभक्ष्य मैदा, ईयल और अनेक कीडों का नाश, खमीरा बनाते त्रस जीवों का अग्नि में संहार, पानी का अंश रह जाने से बासी आटे में करोड़ों जीव बेक्टरीया उत्पन्न हो जाते हैं। 5. बटर : मक्खन में असंख्य त्रस जीव जन्तु उसी कलर के होते हैं। 6. चाइनाग्रास : समुद्री काई-सेवाल (लील) के मिश्रण से बनाया जाता है। 7. काफ चीझ : यह 2-3 दिन के जन्में बछड़ों के जठर को निचोड़कर रस प्राप्त करते हैं। यह ब्रेड के उपर और पीजा बनाने में लिया जाता है। 41

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