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[ ५२ ] विवय बोल नवम | विषय
बोल नबबर मंवृत्त विवृत्त (मिश्र) योनि ६७ | सत्याणुव्रत (स्थूल मृपावाद संवेग
२८३ : विरमण व्रत) के पाँच अतिचार ३०२ मंगनी कथा की व्याल्या 'सत्यामृया (मिश्र) भापा २६६ और भेद
१५६ सदा विग्रह शीलता मंशय
१२१ सद्दहरणा चार संगुद्व बान दर्शन धागे
सद्भाव प्रतिपेध अरिहन जिन कंवली
३७१ समकिन मंमत
३४७ माकन को तीन शुद्धियाँ ८२ मंमन नप
१५ समकित के दो प्रकार से तीन मंमारी
८० मंमागे के दो भद ८ ममकित के तीन लिङ्ग ८१ मंमारी के चार प्रकार ५३० समकिन के पांच अतिचार २८५ समृष्ट कल्पिक ३५३ माकत के पांच भृपण २८४ नग्धान विचय
२०० समकिन के पांच भेद २८२ सकाम मरण
५३ समकिन के पांच लक्षण २८३ मचित्त निय ३१२ सम्यक्त्व के चार प्रकार से मचित्त पिधान
३१२ दो दो भेद सचित्त प्रतिवद्धाहार सचिन यानि सचित्तासचित्त (मिश्र) योनि ६७ । ममारम्भ सचित्ताहार
३०७ समारोप का लक्षण और भेद १२१ सत्ता
२५३ ममिति सत्ता का स्वरूप
६४ समिति पांच सत्य
२५१ समुच्छिन्न क्रिया अप्रतिपाती। मत्य भाषा २६६ शुक्ल ध्यान
२२५
३०६ समपादयुता ६७ समय
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